एक गाँव था जो दबंग-बिन्दास जीवन जीता था ओर एक मेरे होस्टेल का जूनियर था जो कि कम बोलनेवाला किंतु बहुत समझदार व्यक्ति था। दोनोंने आत्महत्या की राह थामी क्यों ? क्योंकि उन्होंने अपने माँ-बाप के प्रेम से ज्यादा अपनी प्रेमिका(?) के प्रेम को आंका ओर जब कुछ सांप्रत स्थितिओ की वजहों से उन्हें वह प्रेम में असफलता प्राप्त हुई और यह रास्ता अपनाया।
मेरे होस्टेल वाले मित्र की अगर बात करू तो वह लगभग 3–4 सालों से हररोज रात को 1–2 बजे जब हम नाश्ता-पानी के लिए जाया करते थे तो हमे वो हमेशा फोन पर बाते करता मिल ही जाता था। एकदिन हम छत पर बैठे थे और वो(दीपक) वहाँ पर आया तब मैंने पूछा कि अबे तेरा तो जमाना आया है तब दीपक बोला कि, “भैया जमाने का तो पता नही पर जिंदगी है वो मेरी।”ओर हमने काफ़ी देर तक उसके प्रेमप्रकरण पर बातचीत की बाद में मुझे बोला कि भैया आपसे बात करके अच्छा लगा।फिर हररोज वही मुस्कान वही फ़ोन पे बातचीत करते हुए हमें मिला करता था तथा परीक्षा के समय भी हमारे पास आया करता था सीखने।ये सब चलता रहा,हमने भी थोड़े समय पहले होस्टेल छोड़ दी और अचानक से एकदिन मित्र का फोन आया कि दीपकने आत्महत्या करदी ओर कारण प्रेम में असफलता। यह सुनकर मैं विचलित हो गया। फिर एकदिन बाद मुझे उसकी सुसाइड नोट का फोटो मिला जिसे पढ़कर क्षण के लिए शरीर सुन्न हो गया।
😥😥😥
नोट्स मे लीखा था -
मुझे माफ़ कर देना मै आपकी इच्छा पूर्ण न कर सका।आपने मुझे बहुत प्रेम दिया लेकिन मैं आपको धोखा दे रहा हूँ।मैं जिंदगी से थक चुका हूँ मम्मी-पापा ओर मैं ये जो भी कर रहा हूँ वो किसीके दबाव में आके नही कर रहा।
मेरी आख़िरी इच्छा है कि मेरी समाधि बनाना और वो समाधि मेरा जहाँ अपना घर बनाने का सपना था वहाँ पर बनाना। मुझे आग से राख न करदेना मेरे अंगों का दान करदेना ताकि किसी दूसरे की जिंदगी के मदद में आये।
मैं जा रहा हूँ।
मेरे सारे दोस्तों को मेरी याद देना और कहना कि मैं जब ये कर रहा था तबभी उन सबको मैंने मिस किया।
किंतु आश्चर्य की बात मुझे यह लगी कि ये दोनों व्यक्ति की सोच इन दु:विचारों से कोसों दूर की रही थी फिर भी पता नही यह कैसे हो गया। मैं आज यहाँपर इतना ही कहना चाहता हूँ कि आप अपने दोस्तों से मिलते वक्त,फोन,सोशल मीडिया के माध्यम से बात करते वक़्त उन्हें समय-समय पर यह पूछना न भूलें की, “और बताओं तो ज़रा,आजकल कहा रहते हो,जिंदगी में सब ठीकठाक तो चल रहा हैं ना ?,कोई भी बात हो बिना झिझक बता दिया करो, आख़िर भाई/मित्र हो तुम मेरे।”
क्या पता शायद आप वो राहबर बनकर आये उसकी जिंदगी में ओर दुःख के वमल में डूब रहें उस व्यक्ति को आपका सहारा मिल जाए।
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